हज यात्रियों के लिए ‘‘प्रशिक्षण कार्यक्रम‘‘ व पुस्तक मुबारक सफर का विमोचन कार्यक्रम

हज इंसानों में बेहतर चरित्र को आत्मसार कराने हेतु प्रेरणा का नाम है-अरशद जमाल

फ़ास्ट इंडिया न्यूज ब्यूरो

मऊ। पुरा मारूफ स्थित जामिया महमूदिया लिल्बनात के बेसमेंट में मऊ, कोपागंज एवं पुरामारूफ के हज यात्रियों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आध्यात्मिक कार्यक्रम की शुरुआत मुहम्मद मुन्जिर द्वारा पवित्र कुरान के पाठ से हुई। हज यात्रियों के प्रशिक्षण के इलावा, मौलाना अंसार अहमद मारुफी की नई पुस्तक ‘‘मुबारक सफर‘‘ का विमोचन भी किया गया तथा मऊ नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष अरशद जमाल को जनप्रतिनिधित्व व शिक्षा क्षेत्र में डॉ. शकील अहमद को उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। वक्ताओं ने संयुक्त रूप से पुस्तक ‘‘मुबारक सफर‘‘ के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि लेखक ने इस पुस्तक में हज और उमरा से सम्बन्धित सभी विवरणों को संकलित किया है, जिसका उद्देश्य यह है कि हज और उमरा को जाने वाले यात्रियों के लिये जानकारी एवं प्रशिक्षण से सम्बन्धित ज्ञान को एक ही जगह सहजतापूर्वक एकत्र कर उपलब्ध करा दिया जाये।

नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष अरशद जमाल और अन्य विद्वानों ने ‘‘मुबारक सफर‘‘ पुस्तक का विमोचन किया। इसके बाद माहनामा पैगाम के संपादक मौलाना अंसार अहमद मारूफी ने अरशद जमाल को उनकी कौमी सेवाओं के लिए ‘‘महबूब रहनुमा‘‘ पुरस्कार से सम्मानित किया।

इसके बाद पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल ने संपादक महोदय के द्वारा उन्हें दिये जाने वाले सम्मान हेतु धन्यवाद दिया और कहा कि पुरा मारूफ के साथ मेरा बहुत गहरा और करीबी रिश्ता है। यह बहुत आश्चर्य की बात है कि इतनी जल्दी यह मोटी किताब प्रकाशित हो गई है। उन्होंने कहा कि अल्लाह हज से गुनाहों को माफ कर देता है। अल्लाह माफी के लिए बहाने ढूंढता है। हालाँकि हमारी गुनाहें बहुत हैं, लेकिन उसकी दया इससे भी अधिक है, इसलिये हम आशा करते हैं कि वह हमारी गलतियों को अवश्य ही क्षमा करेगा। श्री जमाल ने बताया कि इस्लाम में हज का यह दायित्व इंसानों के अन्तःकरण को बेहतर बनाने वाले कृत्य के आरम्भ को सुनिश्चित करनेवाली प्रेरणा का नाम है। इसलिये भी इस दायित्व के निर्वहन में किसी भी प्रकार की कमी या चूक नहीं होनी चाहिए।

इस अवसर पर स्कॉलर पब्लिक स्कूल मऊ के डायरेक्टर डॉ. शकील अहमद को उनकी समग्र साहित्यिक सेवाओं के लिए ‘‘सितार-ए-अदब‘‘ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डा0 शकील ने इस सम्मान के प्रति सम्बन्धितों का आभार व्यक्त किया। जामिया महमूदिया लिल्बनात की अध्यापिका सबीहा खातून ने संस्था में आये मेहमानों का शुक्रिया अदा किया और जामिया की शुरुआत और विकास से जुड़े इतिहास का मनभावन अंदाज में जिक्र करते हुए नात पढ़ी। इसके बाद जामिअतुल तैय्यबात त्वा आजमगढ़ की शिक्षिका गुफराना अंजुम ने ‘‘मदीना की ज्यारत‘‘ शीर्षक से नात प्रस्तुत किया, जबकि जामिया के शिक्षकों ने उपस्थित हज यात्रियों को हज के बारे में विस्तृत जानकारियां उपलब्ध करायीं।

इस मौके पर वक्ताओं में शिक्षिका रूबी खातून, अध्यापक मौलाना मुबश्शिर, मौलाना अंसार अहमद मारूफी, मौलाना शाकिर उमैर, मौलाना नौशाद अहमद कासमी, मुफ्ती मुहम्मद असद कासमी आदि शामिल थे। संयुक्त रूप से वक्ताओं ने कहा कि हज यात्रियों को चाहिए कि वे अपने संबंधों को बेहतर बनायें और यदि किसी के साथ किसी भी प्रकार का मनमोटाव या असहमति हो तो उसे बिना देर किये सुलझा लें, क्योंकि कोई भी व्यक्ति हज बैतुल्लाह के उपरान्त पूरी इंसानियत के लिये एक असाधारण इंसान के रूप में बेहतर उदाहरण बन जाता है। यह अपेक्षित है कि पूरी मानवता और दूसरों के लिए प्रेरणा का कारण बने हाजी की जिंदगी उनकी पिछली जिंदगी से बिल्कुल अलग और काफी बेहतर होनी चाहिये।
कार्यक्रम में विशेष रूप से मौलाना शब्बीर अहमद मुश्ताक, हकीम नजीर अहमद, मौलाना शाहनवाज, मौलाना शमीम अहमद मऊ, मास्टर शकील अहमद, मौलाना मोतीउल्लाह आदि समेत बड़ी संख्या में क्षेत्रीय लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुफ्ती अताउल्लाह कासमी और संचालन मौलाना अंसार अहमद मारूफी ने की। अंत में अमीना मुसर्रत की नात और मौलाना अंसार अहमद मारूफी की दुआ के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।


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