मऊ: एक तथाकथित नर्सिग होम पर होगी कार्यवाही, अन्य पर भी गिर सकती है गाज

यहाँ के डाक्टर क्लिनिक के नाम पर चलाते है फर्जी नर्सिग होम

तीन चार तथा कथित अस्पतालों को छोड़कर , सभी चलाते है फर्जी पैथोलॉजी और मेडिकल स्टोर

अधिकतम तथाकथित अस्पतालों में नही है प्रशिक्षित वार्ड ब्याय व् नर्श

विवेक सिंह ब्यूरो रिपोर्ट

मऊ। जिले में तमाम अस्पताल ऐसे है जिनका रजिस्ट्रेशन तो क्लीनिक का है लेकिन चलाते है नर्सिंग होम। ऐसा ही एक अस्पताल मऊ के बच्चों के डाक्टर राज कुमार सिंह द्वारा चलाया जा रहा है । इसका खुलासा तब हुआ जब डाक्टर राज कुमार स्वयं एक वरिष्ट पत्रकार से बेवजह उलझ गये।

जब इनके तथा कथित अस्पताल के बारे में पता किया गया तो पता चला कि इनके पास तो अस्पताल चलाने के लिये कोई लाइसेंस ही नही है। इनके पास तो केवल क्लिंनिक चलाने का ही लाइसेंस है।

जैसा कि हम आपको पूर्व में बता चुके है स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन एक ऐसा रजिस्ट्रेशन है जिसमे डाक्टर मरीज को केवल तीन चार घण्टो के लिये अपने यहाँ देख -रेख में रख सकता है। लेकिन यह तो क्लीनिक के रजिस्ट्रेशन पर ही नर्सिग होम खोल रखा है। सबसे पहले हम आपको यह भी बता दे रहे इनके पास एक नर्सिग होम चलाने सम्बंधी कोई मानक पुरा नही है। यदि अभी इनके अस्पताल में आग लग जाय तो इनके पास फायर फाइटिंग तक का रजिस्ट्रेशन नही है जैसा कि आप जानते है कि अभी एक दिन पूर्व ही उड़ीसा में एक निजी अस्पताल में आग लगने से करीब 29 लोगो की मौत हो गयी है।और यहाँ भी फायर फाइटिंग के अभाव में कई लोगो की जाने गयी।

जिलाधिकारी द्वारा सीएमओ को निर्देशित किया गया है कि इस डाक्टर के तथाकथित नर्सिग होम की जाच कर कार्यवाही करें। जिस सम्बन्ध में सीएमओ द्वारा डाक्टर राजकुमार को नोटिश भी दी गयी है। वही सीएमओ ने बताया कि डाक्टर राजकुमार द्वारा अभी तक नोटिश का जवाब नही दिया गया है। अभी स्वास्थ्य विभाग की भर्ती से सम्बंधित साक्षात्कार चल रहा है ज्यो ही साक्षात्कार समाप्त होगा इनके ऊपर कार्यवाही की जायेगी।

आइये हम आपको बताते है कैसे ये डाक्टर करते है मरीजो का शोषण

और यही नही क्या यह अपने जिन मरीजो को दवा लिखने या सलाह देने के सम्बन्ध में जो फीस लेते है क्या उसकी पक्की बिल देते है।जी नही!

क्योकि इनके पास तो इनका कोई लेखा जोखा है ही नही और नही कोई रजिस्ट्रेशन है। जैसा कि आप जानते है कि उपभोक्ता फोरम आपको हमेशा सजग करता रहता है। आप कही भी 10 रुपये ही दिजिये तो उसकी पक्की बिल अवश्य लिजिये लेकिन ये डाक्टर तो 200 रूपये से लेकर 500 रूपये तक फीस लेते है लेकिन क्या ये इसकी पक्की बिल आपको देते है। जी नही!

आखिर क्यों नही देते है क्योकि यही तो इन डाक्टरों की काली कमाई का जरिया है क्योकि यदि ये फीस की पक्की बिल देने लगेंगे तो सेल टैक्स और इनकम टैक्स विभाग भी इनकी कमाई के बारे में जान जायेगा। और इनको सही टैक्स पे करना पड़ेगा। सरकार छोटे लोगो से तो टैक्स इतना लम्बा चौड़ा उसूल करती है लेकिन क्या ये डाक्टर जो इतनी लम्बी चौड़ी आय करते है और उसका एक प्रतिशत भी टैक्स जमा नही करते है।

कही यही कारण तो नही है। जो आते है तो एक छोटी सी कोठरी में बैठकर मरीज देखते है लेकिन कुछ ही दिनों मऊ जैसे महँगे शहर में कई करोड़ की जमीन खरीद कर , करोडो का तथा कथित नर्सिंग होम चलाने लगते है। जिसका कोई मानक भी पुरा नही करते है। अस्पताल खोलने से पूर्व कई विभागों में राजिस्ट्रेशन कराया जाता है लेकिन क्या ये मऊ नगर क्षेत्र के डाक्टरों ने सरकार द्वारा निर्धारित मानको को पुरा किया है। उत्तर आता है जी नही!

तीन चार अस्पतालों को छोड़कर , सभी चलाते है फर्जी पैथोलॉजी और मेडिकल स्टोर

आपको बता दू कि यदि सीएमओ स्तर से गहनता से इन डाक्टरों की जाच करा दी जाय तो अधिकतम नर्सिंग होम बन्द करने पड़ जायेगे।

90 प्रतिशत दवाओ में खाते है कमीशन
ये डाक्टर अधिकतम वही दवाये लिखते है जो इनके अस्पताल में फर्जी मेडिकल स्टोर चलते है और जिन दवाओ में इनका पहले से ही 90 प्रतिशत कमीशन फिक्स रहता है। अर्थात जो दवाये आप इनके यहाँ से 100 रूपये में खरीदते है उसका वास्तविक थोक रेट मूल्य 10 रुपया ही होता है। यही नही ये डाक्टर आपके खून की जाच अपने पैथोलॉजी से कराये या बाहर के पैथोलॉजी से उसमे भी इनका 50 से 60 प्रतिशत कमिशन फिक्स रहता है। अर्थात ये डाक्टर यह जानते है कि कौन सा मरीज किस दवा से ठीक हो सकता है उसके बावजुद अपने कमीशन के चक्कर में बेवजह 10 जाच कराने को क्यों लिख देते है।और असहाय मरीज भला डाक्टर की बात तो मानना ही पड़ेगा । लिहाजा ये सफ़ेद पोश लोग किस तरह मरीजो का खून चुस रहे है आपको उक्त बातो से पता चल ही गया होगा।

मऊ के कुछ डाक्टर तो ऐसे है । जो डाक्टरी पेशा को केवल पैसे के लालच में मरीजो को बेवजह अपना चक्कर मरवाते रहते है। और ये डाक्टर आपको तब तक चूसते है जब तक आप पुरी तरह से टुट न जाये और कही और दिखाने को बिवस न हो जाय।

अधिकतम तथाकथित अस्पतालों में नही है प्रशिक्षित वार्ड ब्याय व् नर्श

आपको बता दु कि अधिकतम अस्पतालों में जो वार्ड ब्याय और नर्श काम कर रहे है उसमे कुछ को छोड़कर किसी भी अस्पताल में प्रशिक्षित नर्श, व वॉर्ड ब्याय है ही नही । अब आप ही सोचिये कि जब प्रशिक्षित वार्ड ब्याय व नर्श नही है तो यह वार्ड ब्याय आपको गलत दवा भी दे सकते है और इंजेक्शन भी गलत लगा सकते है। इसलिये ऐसे तथा कथित अस्पतालों में जाने से पहले स्वयं जाच परख ले कि अस्पताल के कर्मचारी कैसे है अन्यथा आपका रोग सही होने के बजाय और बढ़ भी सकता है।

दवा, खून जाच व मरीज देखने सम्बंधी फीस की पक्की बिल अवश्य मांगे

और दवाओ से लेकर जो आप इन डाक्टरों को सलाह देने व् दवा लिखने के नाम पर फीस देते है उसकी पक्की बिल भी आप अवश्य मांगे।क्योकि जब ये डाक्टर आपसे एक रूपये छोड़ते है तो फिर ये डाक्टर जो काली कमाई कर रहे उसमे से कुछ पैसे तो सरकार के खाते में जाय ताकि पुनः इन पैसो से भविष्य में सरकार आम जनता पर खर्च कर सके।हम फिर आपके पास अगले अंक में हाजिर होंगे इनके बारे में बता ने के लिये....


फेसबुक पेज

अन्य समाचार