अनुमर खेर ने पुरस्कार लौटने वाले साहित्यकारों की खोली पोल

अनुपम खेर ने आज पुरस्कार लौटने वाले साहित्यकारों के बारे में सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों का पुरष्कार लौटाना मोदी सरकार को बदनाम करने की सोची समझी चाल है। उन्होंने बताया कि इन साहित्यकारों में ज्यादातर ऐसे साहित्यकार हैं जिन्हें पुरस्कार ही मोदी को बदनाम करने के लिए मिले थे। गुजरात दंगों के बाद उन साहित्यकारों ने मोदी को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्हें बदनाम करने के लिए साहित्यकारों ने किताबें लिखीं, डाक्यूमेंट्री बनायीं और अख़बारों में बड़े बड़े लेख लिखे। इन साहित्यकारों ने मोदी को बदनाम करके पूर्व कांग्रेस सरकार को खुश करने की हर संभव कोशिश की और बदले में उन्हें साहित्य अकैडेमी के पुरष्कार मिले।

साहित्यकार कभी नहीं चाहते थे कि मोदी आगे बढ़ें इसलिए उन्होंने मोदी को बदनाम करने के लिए बड़े बड़े लेख और किताबें लिख डाली लेकिन उनकी कोशिश रंग नहीं लायी और भारतीय जनता पार्टी की बहुमत से सरकार बन गयी और मोदी प्रधानमंत्री बन गए। मोदी का बुरा चाहने वाले साहित्यकारों को एक चाय वाले का प्रधानमंत्री बनना पसंद नहीं आया। उनकी लाख कोशिश के बाद भी जब मोदी प्रधानमंत्री बन गए तो आज वही साहित्यकार छोटी छोटी बातों को लेकर पुरष्कार वापस करने का बहाना कर रहे हैं और एक बार फिर से मोदी को बदनाम करने में जुट गए हैं। अनुमर खेर ने यह भी कहा कि मोदी को बदनाम करने के चक्कर में वे पूरे विश्व में भारत की बदनामी कर रहे हैं।

साहित्यकारों ने पहले क्यूँ नहीं लौटाए पुरष्कार: अनुमर खेर अनुपम खेर ने कहा कि जब मेरी ऐसे लेखकों और साहित्यकारों से बात होती है तो मै उनसे पुरस्कार लौटाने का कारण पूछता हूँ। ज्यादातर साहित्यकार एक ही बहाना बनाते हैं कि देश में साम्प्रदाईक माहौल ख़राब हो रहा है और दूसरे समाज के प्रति असहिष्णुता बढ़ रही है। अनुपम खेर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मौजूदा समय में ही ऐसे घटनाएँ हो रही हैं। इससे पहले भी साम्प्रदाईक घटनाएँ हुई हैं। उन्होंने कहा कि जब कश्मीर में हिन्दू पंडितों को मारकाट कर भगा दिया गया और उनकी माताओं बहनों के साथ बलात्कार किया गया तो ये साहित्याकर कहाँ थे। जन 1984 में सिख दंगे हुए और हजारों सिखों को मार दिया गया तो ये साहित्यकार कहाँ थे। जब दरभंगा में दंगे हुए तो ये साहित्यकार कहाँ थे। मोदी ने कहा कि ये साहित्यकार उस समय भी देश में रहते थे लेकिन इन्होने पुरष्कार इसलिए नहीं लौटाया क्यूंकि उस समय पूरे भारत में सिर्फ कांग्रेस की सरकार थी।

कई लोग तो मोदी को पीएम बनते देखना ही नहीं चाहते थे: अनुपम खेर

अनुपम खेर ने कई साहित्यकारों और फिल्मकारों के बारे में सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि लोकसभा चुनावों से पहले कई लोगों ने तो टीवी पर खुलेआम कहा था कि वे मोदी को प्रधानमंत्री बनते नहीं देखना चाहते। ऐसे लोगों ने मोदी के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था और कुछ लोगों ने चुनाव आयोग के सामने पेटीशन भी दायर की थी। ऐसे लोगों से पुरस्कार वापसी के अलावा और उम्मीद ही क्या कर सकते हैं।

अनुमप खेर ने कहा कि मै किसी पार्टी का पक्ष नही ले रहा हूँ लेकिन मोदी के बारे में यही कहूँगा कि वे बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। उन्होंने पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया है और आगे भी अच्छा काम करेंगे। उन्होंने कहा कि मुझे वैसे तो राजनीतिक बयान देने की जरूरत नहीं है क्यूंकि मेरा काम वैसे भी बहुत बढ़िया चल रहा है। मेरा खुद का ट्रेनिंग स्कूल है और मेरे पास फिल्मकारों की लाइन लगी रहती है, लेकिन मै अच्छे को अच्छा कहता हूँ और बुरे को बुरा।

हमें मोदी जैसे पीएम पर गर्व होना चाहिए: अनुपम खेर

अनुमप खेर ने यह भी कहा कि आज हमारे देश में ऐसा प्रधानमंत्री है जिसपर हम गर्व कर सकते हैं। मोदी की छवि विल्कुल बेदाग़ है। उन्होंने पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी में कुछ नेता मूर्खों जैसा बयान भी दे सकते हैं लेकिन मै हमेशा देश की तरफ देखता हूँ और मोदी के इरादे विल्कुल साफ़ हैं।

उन्होंने कहा कि अगर आप पुरष्कार लौटने वाले लोगों की तरफ ध्यान दें तो पाएंगे कि उन्होंने देश को कुछ नहीं दिया है। उन्होंने पुरष्कार पाने के लिए भी अपना ही महिमामंदन किया था और पुरष्कार लौटकर भी अपना ही महिमामंडन कर रहे हैं।


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