Ghosi: उपचुनाव में भाजपा को आखिर क्यो उतारनी पड़ी मंत्रियों की फौज ! पढ़िए पूरी खबर.

दलबदलू नेताओ के कारण भाजपा के मूल कार्यकर्ताओ का वजूद खतरे में मूल कार्यकर्ता नाराज

आज तक का सबसे महंगा व खर्चीला उपचुनाव

फ़ास्ट इंडिया न्यूज ब्यूरो

मऊ। कहा जाता है की राजनीति में सब कुछ जायज है। ऐसा ही उदाहरण मऊ जिले के घोसी उपचुनाव में देखने को मिला है। जिसमें उपचुनाव नामांकन से लेकर आज तक लगभग 30 से ऊपर मंत्रियों ने जनसभा में प्रतिभाग किया है। वही 14 से अधिक मंत्री कैंप करके चुनाव प्रचार कर रहे थे। वही प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्री भी कैंप किए हुए थे। और लगातार दारा चौहान के लिए वोट मांग रहे थे। जो 2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने की आशा में विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार पर यह आरोप लगाकर भाजपा को छोड़ दिया था कि मुझे भाजपा में घुटन होती है भाजपा में पिछड़ों का सम्मान नहीं रह गया है और नही पिछड़ों का कोई अस्तित्व बचा है।जब कि पिछली योगी सरकार में दारा कैबिनेट मंत्री रहे। इसके बावजूद भाजपा का दामन 2022 विधानसभा चुनाव में उस समय छोड़ दिया जब योगी सरकार को ऐसे नेताओं की 2022 विधानसभा चुनाव में सख्त जरूरत थी।

2022 विधानसभा चुनाव में दारा चौहान घोसी से सपा से विजई तो हो गए । लेकिन सपा की सरकार नहीं बनने पर दारा चौहान को इस बात का एहसास हो गया कि सपा की सरकार नहीं बनी तो मेरा भी वजूद नहीं रहेगा।

वही 15 महीने बाद दारा ने भाजपा से अपनी साठ गांठ फिट करने के बाद अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दिया। और सोचा कि भाजपा में जाते ही MLC बनकर मैं मंत्री बन जाऊंगा लेकिन दारा का दाव फेल मार गया। और भाजपा ने फैसला किया कि घोसी उपचुनाव में दारा पुनः चुनाव लड़ेंगे और जीत कर आएंगे तभी उचित स्थान मिलेगा।

उपचुनाव नामांकन के बाद दारा को हो गया एहसास

जैसे ही उपचुनाव में दारा ने नामांकन किया इन्हें घोसी की जनता का भारी विरोध देखने को जगह जगह मिला और इन्हें एहसास हो गया कि चुनाव जीतना बहुत मुश्किल है जैसे ही भाजपा के केंद्रीय नेताओ को इसकी सूचना मिली । वह योगी सरकार के पूरी मंत्रिमंडल को एक एक कर घोसी विधानसभा में प्रचार के लिए भेजते रहे ।

सबसे चिंतनीय विषय यह है कि 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान इन्होंने पानी पी पी करके कई तरह के भाजपा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे और आरोप लगाने के दौरान कई इस तरह की बातें की जो भाजपा के अगर नेता वाकई में ईमानदारी पूर्वक उनकी बातों को याद कर ले तो शायद ही उन्हें स्वीकार करेंगे। लेकिन भाजपा के शीर्ष नेताओं व मंत्रियों के चुनाव प्रचार के कारण कार्यकर्ता प्रचार में लगे तो रहे है लेकिन दलबदलू दारा चौहान की कार्यशैली को लेकर उनके अंदर काफी आक्रोश भी है।

मौका परस्त नेताओ के कारण भाजपा -सपा के मूल कार्यकर्ताओ का वजूद खतरे में

वही दूरी तरफ सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर ने 2022 चुनाव में सपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा और जगह जगह भाजपा नेताओं को गाली देते हुए जूते मारने जैसे कई अपशब्दो का प्रयोग किया। जिसकी वीडियो आज भी शोसल मीडिया पर वायरल होने के बाद भाजपा के मूल कार्यकर्ता बयान सुनकर अपने आपको शर्मशार हो जाते है।ऐसे में भाजपा और सुभासपा से पुनः गठबंधन होने के बाद भाजपा के मूल राजभर नेताओ को नजर अंदाज करना और ओमप्रकाश जैसे मौका परस्त नेताओ को प्रमोट करने से भाजपा के मूल राजभर कार्यकर्ताओं में भी काफी नाराजगी है।
ओमप्रकाश राजभर जैसे मौका परस्त नेताओ द्वारा पार्टी बदलते ही दूसरी पार्टी के नेताओ को गली देना अपशब्द कहना एक ट्रेंड सा बन गया है। ऐसे में यह नेता दूसरी पार्टी को गाली व अपशब्द कहने में अपना बढ़कपन समझते हैं।
लेकिन वही बीजेपी हो या सपा हो उनके जो मूल कार्यकर्ता होते हैं वह अपने आप को काफी ठगा हुआ महसूस करते हैं । क्योंकि वह अपने पार्टी के लिए जी जान लगा देते हैं । लेकिन जब उनके लिए पार्टी द्वारा कुछ करने का समय आता है तो उसमें मौका परस्त नेताओं द्वारा सेंध लगा दी जाती है और उनको नजरअंदाज कर दिया जाता है। ऐसा ही अब भाजपा में भी देखने को मिल रही है जो बड़बोले बाहरी नेता हैं उनको स्थान तो खूब दिया जाता है लेकिन जो वाकई में भाजपा के लिए दिन-रात एक करके मेहनत करते हैं और काम करते हैं उनको हमेशा से नजरअंदाज किया जा रहा है। जिसके कारण अंदर खाने भाजपा कार्यकर्ताओ में भी अब वह जोश नहीं रह गया है जो लोकसभा व विधानसभा चुनाव 2014 , 2017, 2019 व 2022 के चुनाव में रहा है । भाजपा के कार्यकर्ता भी अपने आप को कहीं ना कहीं ठगा सा महसूस करने लगते हैं। जब नेता मंत्री चुनाव जब आता है उनको मीठी-मीठी बातें करके अपना काम निकाल लेते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद ही उन्हें भूल जाते हैं की जनता से क्या-क्या वादे किए हैं ।
हां एक बात है चिंतनीय है एक उपचुनाव जीतने के लिए योगी की पूरी मंत्रिमंडल या यू कह लीजिए पूरी सरकार लग चुकी है आखिर ऐसा क्या है इस उपचुनाव में की पूरी योगी की मंत्रिमंडल की फौज घोसी में दिन रात प्रचार कर रही है। जबकि इससे न तो कोई सरकार बनना है और ना ही कोई सरकार बिगड़नी है। जब योगी जी को सरकार बनाने के लिए ऐसे नेताओं की जरूरत थी तब 2022 के चुनाव में ऐसे नेताओं ने योगी जी की लाख बुराइयां की और विरोध किया लेकिन ऐसे में जब इस उपचुनाव से ना तो योगी की सरकार बननी है और ना ही सरकार बिगड़नी है तो इतनी मशक्कत आखिर क्यों की गई यह तो भाजपा की शीर्ष नेतृत्व और सरकार ही जाने लेकिन एक सबसे बड़ा प्रश्न जरूर है कि जिन मंत्रियों ने विधायकों ने सांसदों ने जनता के बीच जाकर जितने वादे किए हैं व शिकायतों का निस्तारण करने की बात कही है यदि वह पूरा नहीं हुआ तो 2024 लोकसभा चुनाव में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को इसका जवाब देना तो अवश्य पड़ेगा ।क्योंकि यदि समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ तो यह भी बहुत बड़ा प्रश्न बनेगा कि घोसी उपचुनाव के दौरान मंत्रियों ने बड़े बड़े वादा करके पूरा नही किया फिर किस मुह से भाजपा के नेता पुनः वोट मांगने आ गए। ऐसे में घोसी लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले नेता को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा।


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