68500 शिक्षक भर्ती का मामला अभी चल रहा है कि बीटीसी थर्ड सेमेस्टर के रिजल्ट में भी भारी अनियमितता

भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ चुकी 68500 शिक्षक भर्ती का मामला अभी चल ही रहा है कि एक नया मामला सामने आ गया

विवेक सिंह

लखनऊ।परीक्षा नियामक प्राधिकरण इलाहाबाद द्वारा बीटीसी 2015 बैच के थर्ड सेमेस्टर का जो रिजल्ट जारी किया है उसमें बड़ा मामला सामने आ रहा है।

किसी अभ्यर्थि को 25 अंक के पेपर में अधिकतम 25 अंक दे सकते है लेकिन यहाँ तो 25 अंक में किसी को 40 अंक मिला तो किसी को 25 अंक में 26 अंक मिला तो वही किसी को 25 में से 29 अंक दे दिया है।

अभी कुछ ही दिनों पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुले मंच से कहा कि हम तो भर्ती करना चाहते है लेकिन हमारे पास योग्य अभ्यर्थी ही नही है, सीएम साहब को यह बात बोलते वक्त थोड़ी सी भी झिझक नही हुई की यह बात बोलने से उन परीक्षार्थियों को कितना कष्ट होगा ,जो इनके मनमाने और भ्रस्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के चलते योग्य परीक्षार्थियों की कापियां बदल दी गयी तो वही हजारों परीक्षार्थियों के मूल्यांकन की गयी कापियों में नम्बर तो अधिक दर्ज है लेकिन रिजल्ट जो घोषित किया गया, उसमे कम अंक देकर फेल कर दिया गया है।

अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि 2017 के यूपी विधान सभा चुनाव में भाजपा का एक नारा था कि हमारी सरकार बनेगी तो भ्रस्टाचार मुक्त सरकार बनेगा, लेकिन इस नारे के विपरीत ही सब कुछ हो रहा है।कोई विभाग ऐसा नही है जिसमे बिना पैसे लिये काम किये जा रहे हो।

वही 68500 शिक्षक भर्ती में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों का कहना है कि शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में पूरी तरह पैसे का खेल चला है, जो परीक्षार्थी फेल थे उन्हें पास कर दिया गया और जो परीक्षार्थी पास थे उन्हें फेल कर दिया गया है।

अब ऐसे में सीएम योगी की ईमानदारी पर भी सवालिया निशान खड़ा हो गया है, क्योकि सीएम योगी के जब अधिकारी इनकी बात नही सुनते है तो आखिरकार किसकी बात ये अधिकारी आजकल सुन सुन रहे है?

वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह माना जा रहा है प्रदेश की मुखिया इन दिनों कठपुतली हो गये है कोई भी प्रशासनिक अधिकारी इनके बयानों व आदेशो को गम्भीरता से नही ले रहे है, इसी का नतीजा है की युवाओं को यूपी में नौकरी देने की बड़े बड़े वादे करने वाले सीएम योगी की कोई भर्ती परीक्षा अब तक सफल नही हुयी, प्रदेश में अब तक जितनी वेकेंसियां निकली उसमे अधिकतर परीक्षाओ की या तो पेपर होने से पहले पेपर आउट हो गया जिससे की परीक्षा निरस्त कर दी गयी हो, या तो वह भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ गई है।

अभी 68500 शिक्षक भर्ती परीक्षा को लिखित पेपर के आधार पर कराकर नियुक्ति करने की प्रक्रिया लगभग एक वर्ष से चल रही है , लेकिन इस भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर घोटाले सामने आ रहे है, हजारों परीक्षार्थीयो को कॉपी में अधिक अंक मिले है लेकिन रिजल्ट में कम अंक देकर फेल कर दिया गया। वही परीक्षार्थियों का आरोप है कि अधिकतर परीक्षार्थी ऐसे नियुक्ति पा गये जो अच्छे से एक लेटर नही लिख सकते वह परीक्षा में कैसे उत्तीर्ण हो गये? और नौकरी पा गये। अर्थात शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर घोटाले का मामला मिडिया दिखा चुकी है ,जिसमे खाना पूर्ति करते हुये महज इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल तीन अधिकारियों को हटाकर कोटापूर्ति कर रही है सरकार ।

जबकि इतने बड़े स्तर पर घोटाला के मामले सामने आने पर कोर्ट में भी कई मामले इस भर्ती को लेकर याचिका डाली गई है। अब देखना होगा की इस भर्ती में हुयी लापरवाही की जाच कर रहे अधिकारी अपना क्या जाच रिपोर्ट सौपते है शासन को और क्या दाखिल करते है कोर्ट में।

एक बात तो साफ़ है यदि वास्तव में शिक्षक भर्ती की जाच सीबीआई से कराई गई तो इसमें कई भाजपा के बड़े स्तर के सफेद पोश नेता मंत्री और अधिकारी जेल की हवा खा सकते है। और यही वजह है कि सीएम योगी जी भी अब अपने लोगो को बचाने के लिये लीपा पोती करने में लग गए है। अन्यथा अब तक यह भर्ती निरस्त कर दी गयी होती ।

वही उक्त प्रकरण से परीक्षार्थियों में सरकार के प्रतिं काफी आक्रोश ब्याप्त है, और अपनी मांगों को लेकर जगह जगह धरना प्रदर्शन कर रहे है और पुलिस की लाठियां तक खा रहे है, कही यह भर्ती प्रक्रिया भाजपा सरकार के लिए 2019 चुनाव में घातक सिध्द न हो जाय।


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